ज्योत्स्ना शर्मा
अनियतकालिक पत्रिका 'जलसा' में कवयित्री ज्योत्स्ना शर्मा की मार्मिक और विशिष्ट कविताएँ हाथ लगीं, मन हुआ आपसे भी साझा करूँ. आगामी पोस्ट में उनकी कविताएँ ही होंगी ताकि स्त्री के निजी संसार और उसकी अन्यतम भाषा, अभिव्यक्ति से आप नवीन रूप में परिचित हो सकें...
११मार्च १९६५ को अलीगढ़ में जन्मी हिंदी ज़बान की प्रतिभाशाली रचनाकार ज्योत्स्ना शर्मा का २३दिसम्बर २००८ को दुखद परिस्थितियों में निधन हो गया. उनकी रचनाएँ हाल ही में छपना शुरू हुई हैं. कवि-फ़िल्मकार देवीप्रसाद मिश्र उनके जीवन और कृतित्व पर फिल्म बना रहे हैं. (परिचय और कविता 'जलसा' पत्रिका से साभार ली गयी है. सम्पादक- श्री असद ज़ैदी)गुमनाम साहस
वयस्कों की दुनिया में बच्चा
और पुरुषों की दुनिया में स्त्री
अगर होते सिर्फ योद्धा
अगर होती ये धरती सिर्फ रणक्षेत्र
तो युद्ध भी और जीत भी
आसान होती किस कदर;
लेकिन मरने का साहस लेकर
आते हैं बच्चे
और हारने का साहस लेकर
आती हैं स्त्रियाँ
ऐसा साहस जो गुमनाम है
ऐसा विचित्र साहस जो लील जाता है
समूचे व्यक्तित्व को
और कहते हैं वो जो मरा और हारा
कमज़ोर था
कि यही है भाग्य कीड़ों का;
ऐसी भी होती है एक शक्ति
उस छाती में जिसपर
हर रोज़ गुज़र जाती है
एक ओछी दुनिया.
क्रमशः...
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