ताहा मुहम्मद अली फिलिस्तीनी साहित्यिक परिदृश्य के जानेमाने कवि, कहानीकार हैं.१९३१ में स्फूरिया के गैलिली ग्राम में जन्मे ताहा ने १९४८ में हुए अरब-इज़राइल युद्ध के दौरान पलायन के दंश को झेला. स्फूरिया में बीता बचपन, उसकी अविस्मरणीय स्मृतियाँ उनके साहित्य की धमनियों में प्रवाहित होती हैं. ताहा के अनुभव कल्पना और कला के रंगों में सनकर मनोरम रूप ग्रहण कर लेते है. स्वशिक्षित ताहा का साहित्यिक जीवन १९८३ में शुरू हुआ.प्रभावी प्रत्यक्ष सम्वाद का साहस, पलायन की पीड़ा, निरस्त कर देनेवाला व्यंग्य, बेहिचक, ईमानदार व कभी-कभी दर्द भरी अभिव्यक्ति ने उनकी रचनाओं को बहुअर्थी बनाया. पेश है ताहा की एक महत्वपूर्ण कविता...(अनुवाद अंग्रेजी से).पेट्रोलियम की नसों में जमा खून
मैं बचपन में अतल गड्ढे
में गिर पड़ा, किन्तु
मैं नहीं मरा;
जवानी में पोखर में डूब कर भी
मैं नहीं मरा;
और अब ईश्वर हमारी मदद करे-
मेरी आदतों का एक विद्रोही सैनिक
सीमा से लगे जमीनी विस्फोटकों की
पलटन में दौड़ पड़ा है,
जैसे मेरे गीत,मेरे युवाकाल के दिन
तितर-बितर हो गये है:
यहाँ एक फूल है
वहाँ एक चीख
और फिर भी
मैं नहीं मरा!
उन्होंने मेरी हत्या कर दी
दावत के लिए काटे गये मेमने की तरह-
पेट्रोलियम की नसों में ;
जमा खून.
ईश्वर का नाम लेकर
उन्होंने मेरा गला चीर दिया
एक कान से दूसरे कान तक
हजारों बार,
और हर बार
गिरती रक्त की बूंदें
पीछे से आगे तक छलछला पडीं
जैसे फाँसी लगे इन्सान का
आगे-पीछे झूलता पैर,
जो तभी स्थिर होता है,
जब बड़े, रक्तिम औषधि वृक्ष
पर फूल लग जाते हैं-
उसी आकाशदीप की भाँति
जो भटके जलयानों को
रास्ता दिखाता है और
राजभवनों तथा दूतावासों की
स्थिति चिन्हित करता है.
और कल
ईश्वर हमारी मदद करे-
फोन नहीं बजेगा
फिर चाहे वह वेश्यालय में हो या किले में,
या एकाकी पड़े बादशाह के पास,
वह मेरे पूर्ण विनाश का इच्छुक है.
लेकिन...
जैसा कि औषधि-वृक्ष ने बताया है,
और जैसा सरहदें भी जानती हैं,
मैं नहीं मरूँगा! मैं कभी नहीं मरूँगा!!
मैं सतत रहूँगा- हथगोलों में छर्रों की तरह
गर्दन पर टिके चाकू की तरह,
मैं हमेशा रहूँगा-
रक्त के एक धब्बे में
एक बादल के आकार में
इस संसार की कमीज पर!
taha ki anudit kavitaon ke kuchh any links:
जवाब देंहटाएंhttp://likhoyahanvahan.blogspot.com/2009/04/blog-post_17.html
http://likhoyahanvahan.blogspot.com/2009/04/blog-post_24.html
http://likhoyahanvahan.blogspot.com/2009/08/blog-post_12.html
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएं''मैं हमेशा रहूँगा-
जवाब देंहटाएंरक्त के एक धब्बे में
एक बादल के आकार में
इस संसार की कमीज पर!''
बहुत सुंदर...।