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शुक्रवार, 18 मार्च 2011

                                जापान की त्रासदी और हम 
कुल जमा सात दिन पहले जापान में आये भीषण भूकम्प और तत्पश्च्यात सुनामी की लहरों के तांडव ने अनेक शहरों का समूल नाश ही नहीं किया बल्कि पूरे विश्व को भी हतप्रभ कर दिया है.बाद के दिनों में परमाणु ऊर्जा व रेडिएशन के खतरे ने विकास के नाम पर राष्ट्रों द्वारा परिचालित सुरक्षा के ढोंग को भी उघाड़ दिया है. 'सम्वाद' के इस मंच से हम जापान की त्रासदी पर हार्दिक दुःख व्यक्त करते हैं. इस परिघटना ने अंधाधुंध परमाणु विकास में छिपी अमानवीयता को उजागर कर दिया हैं.परिवेश और प्रकृति के अधिकाधिक शोषण ने अंततः सर्वनाश का मार्ग खोल दिया हैं. परमाणु ऊर्जा के वश्विक संकट ने एकाएक देशों की शक्ति, विकास,सुरक्षा पर नई बहस शुरू कर दी है. अब सचमुच सचेत होने की आवश्यकता है. हमें मानव सहित विकास चाहिए या मानव रहित?   

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